Bharat mata

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Sunday, October 27, 2013

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, क्यों ? - 2


१)पाई का मूल्य सबसे पहले बोधायन ने आँका था. उन्होंने ही उसका सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसे पाय्थोगारस सिद्धांत के नाम से जाना जाता है. यह कार्य बोधायन ने पाय्थोगारस से बहुत पूर्व -ईसा पूर्व ६ शताब्दी में ही कर दिया था.

२)बीजगणित, त्रिकोणमिति और कैलक्युलस भारत की ही विश्व को देन है.

३)श्रीधराचार्य ने ११ वि शताब्दी में वर्ग समीकरण (क्वाद्रिक इक्वेशन) की व्याख्या की.

४) ग्रीकों और रोमनों द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला अधिकतम अंक १०६ था ,जब की ईसा पूर्व ५००० वर्ष पहले वैदिक काल में हिन्दू "१० टू द पॉवर ऑफ़ ५३ " जैसे बड़े अंक तक विशिष्ट नामों से प्रयोग में लाते थे.आज भी विशिष्ट नामों से उपयोग किया जाने वाला अधिकतम अंक टेरा है (१० टू द पॉवर ऑफ़ १२ )

५)जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अमेरिका के अनुसार वर्ष १८९३ तक विश्व में भारत ही रत्नों का एकमात्र स्त्रोत था .अमेरिका स्थित आई.इ.इ.इ. ने साबित किया की प्रोफ.जगदीश चन्द्र बोस ही बेतार(मोबाइल ) संचार प्रणाली के अन्वेषक थे, न की मार्कोनी

६) सिंचाई के लिए जलाशय और बांध का निर्माण सबसे पहले भारत में सौराष्ट्र में हुआ.

७)शतरंज का मूल स्थान भारत ही है.

८)शल्य चिकित्सा के प्रणेता थे सुश्रुत .२६०० वर्षा पूर्व उन्होंने अति जटिल शल्य क्रियाये की जैसे सिजेरियन,मोतियाबिंद,अवयव प्रत्यारोपण,पथरी आदि.

९)प्लास्टिक और शल्य क्रिया में १२५ से अधिक उपकरण प्रयुक्त होते थे.

१ ०)अनेक प्राचीन ग्रंथों में शरीरशास्त्र जंतु-वनस्पति विज्ञानं (एतिलोजी),भ्रूण विज्ञानं,पाचन क्रिया,चयापचय(मेटाबोलिस्म ) अनुवांशिकता विज्ञानं (जेनेटिक ) और रोग से प्रतिरक्षा का गहरा ज्ञान पाया जाता है.

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