Bharat mata

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Thursday, November 7, 2013

स्वतंत्रता दिवस को नजदीक से महसूस करने वाले एक सच्चे राष्ट्रप्रेमी पत्रकार श्री नरेन्द्र सहगल के शब्दों में वो दिन

स्वाधीनता का संकल्प पूरा करने के लिए चाहिए अखंड भारत -

पाकिस्तान की स्थापना की घोषणा होते ही देश के विभिन्न मुस्लिम बहुल इलाकों में मोहम्मद अली जिन्ना के इशारे पर हिन्दुओं पर कहर बरसने लगा. अखंड भारत समर्थक हिन्दू समाज का सामूहिक नरसंहार अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया.देश विभाजन के पहले और बाद में ३० लाख से ज्यादा लोगों की हत्याएं हुई.

जिस समय भारत विभाजन के पहले हस्ताक्षर और खंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु दिल्ली में तिरंगा फहरा रहे थे उसी समय पाकिस्तान से उजड़े और खून से लथपथ लाखों हिन्दू भारत की सीमा में पहुँच रहे थे. अमृतसर ,फिरोजपुर, गुरदासपुर, इत्यादी भारतीय इलाकों में पहुँचने वाली लाशों और घायलों से भरी हुई गाड़ियाँ , आज़ादी अर्थात भारत विभाजन की कीमत अदा कर रही थी.

भारत की इस कथित आज़ादी के लिए हुए असंख्य बलिदान ,फांसी के फंदों ,नरसंहार , निर्बलों के चीत्कार के बीच उस समय कलेजा कांप उठा जब हमारे कानो में नेताओं द्वारा गाये जा रहे एक गीत की ये पंक्तियाँ सुनाई दी-
                                                          " दे दी हमे आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ;
                                                            साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल! "

इसी गीत में ये कहकर "चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल " गीतकार ने १२०० वर्ष तक निरंतर चले स्वतंत्रता संघर्ष को ही नकार दिया है. इस गीत से ऐसा लगता है मनो हिब्दु सम्राट दाहिर, दिल्लीपति पृथ्वी राज चौहान ,राणा सांगा, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी ,श्री गुरु गोविन्द सिंह, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम के हजारों नायकों और महापुरुषों को साबरमती के संत की चुटकी का ही इंतज़ार था.

चुटकी की सच्चाई तो ये है की इसियो चुटकी ने पूरे भारत की पूरी स्वतंत्रता के लिए लगातार १२०० वर्षों तक चले संघर्ष की पीठ में छुरा घोंपकर ,भारत का विभाजन स्वीकार करके स्वतंत्रता संग्राम को नकार दिया ! दुनिया के नक़्शे पर उभर आया ये पाकिस्तान भारत पर हुए विदेशी आक्रमणकारियों का पहला विजय स्तम्भ है !

दुनिया के अमन चैन और मानवीय सभ्यता को बचाने के लिए दुनिया के नक़्शे से पाकिस्तान को मिटाना जरूरी है. यह बात सभी गैर-इस्लामिक देश समझते हैं परन्तु अपने भौगोलिक और सैनिक स्वार्थों के चलते कुछ नहीं करते .अतः सरे संसार की भलाई के लिए यह काम भारत को ही करना है! १५ अगस्त १९४७ को विभाजित हुआ भारत नहीं , बल्कि शक्ति का संचार करता हुआ उससे पूर्व का अखंड भारत ! वस्तुतः अखंड भारत ही विश्व शांति की गारंटी है ! यह स्वतंत्रता दिवस उसी का संकल्प है!

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