Bharat mata

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Monday, November 4, 2013

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं ,क्यों ? - 5

१)गणितज्ञ रामानुजम ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफ हार्डी के साथ सम्भावना सिद्धांत(प्रोबबिलिटी थियोरी )की खोज की. रामानुजम की मौलिक प्रतिभा को स्वयं हार्डी ने १०० में से १०० अंक दिए,जबकि स्वयं को केवल २५!

२)शुन्य की परिकल्पना और दशमलव प्रणाली भारत के हिन्दू मनीषियों की ही खोज है.

३)प्राचीन हिन्दू गणित के सहारे (वैदिक गणित )कठिन से कठिन गणितीय प्रश्नों का एक या दो पंक्तियों में मौखिक उत्तर संभव है.

४)कंप्यूटर में सभी तरह की गणना के लिए प्रयुक्त द्वयंक संख्या(बाइनेरी नंबर सिस्टम) की संकल्पना हिन्दू पुरानों में हजारों वर्ष पूर्व अस्तित्व में थी.

५)समय की सबसे सूक्ष्म(त्रुटी -१/३३७५० सेकेण्ड) और सबसे बड़ी गणना(कल्प-४३,२०,०००,००० वर्ष) भास्कराचार्य ने बहुत पहले ही कर दी.

६)भारतीय कल गणना के अनुसार सृष्टि का निर्माण हुए अब तक १,९७,२९,४९,११२ वर्ष हो चुके हैं.और १ वर्ष की गणना है-३६५.२५९७४८४ दिन.

७)केनेडियन विद्वान जे बी स्पार्क्स ने विश्व के अध्ययन के बाद एक विशिष्ट मानचित्र तैयार किया ,जिसे हिस्तोमेप कहा गया.यह मानचित्र
इसा पूर्व २००० से १९७५ ई तक विश्व सभ्यताओं को दर्शाता है.उन्होंने केवल दो सभ्यताओं को लगातार विद्यमान दिखाया है- हिन्दू और चीन ,चीनी सभ्यता से भी प्राचीन है हिन्दू सभ्यता.

८)प्रसिद्द वेबस्टर के शब्दकोष में ऐसे अनेक शब्द दिए हुए हैं (विश्व की अन्य भाषाओँ के )जिनके मूल संस्कृत हैं.जैसे संस्कृत के नाम शब्द को ग्रीक में नेम और जापान में नम कहा जाता है;और हमारे मस्तिष्क के ऊपर के भाग को शिरोब्रह्म (अंग्रेजी में-सेरिब्राम) और पार्श्व भाग को शिरोविलोम (अंग्रेजी में-सेरिबेल्लम )कहा जाता है.

९)ग्रीस के महँ दार्शनिक प्लेटो ने लिखा है की भारतीय उनके देश में ईसा पूर्व ३०० साल से भी पहले से वानस्पतिक औषधियां व्यापर के लिए लाते थे.हिप्पोक्रेटीस ने तो एक प्रकार की औषधि का नाम ही भारतीय औषधि बताया है.

१०)गणितज्ञ पयथोगरस ने उनके विद्यार्थियों के लिए भारतीय ब्रह्मचर्याश्रम को अपना लिया था.उसे विश्वास था की हिंन्दु मतानुसार आत्मा अमर है और पुनर्जन्म भी होता है.

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